परिभाषाएँ —
प्लेटो के अनुसार
” विचार और भाषा में थोड़ा ही अन्तर है । विचार आत्मा की मूक या अध्वन्यात्मक बातचीत है, पर वही जब ध्वन्यात्मक होकर होठों पर प्रकट होती है तो उसे भाषा की संज्ञा देते हैं। “
स्वीट के अनुसार
” ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा विचारों को प्रकट करना ही भाषा है ” ।
सपीर के अनुसार
” भाषा पूरी तरह मानवीय क्रिया है और वह वाग् – तंत्र से उत्पन्न प्रतीकों द्वारा विचारों, भावनाओं तथा इच्छाओं के संचार ( विनिमय ) का असहजवृत्तिक तरीका है । “
अन्य परिभाषा
” A Language is a system of arbitrary vocal symbol by means of which a society , group cooperates .”
अर्थात
” भाषा मनुष्य के उच्चारण- अवयवों द्वारा उच्चरित यादृच्छिक ध्वनिप्रतीकों की व्यवस्था है जिसके द्वारा एक समाज के लोग परस्पर सहयोग कर पाते हैं ।”